नकाबपोश लोगों का जेएनयू के हॉस्टल में जाकर छात्रों पर हमला करने की चर्चा पूरी दुनिया में है और न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉशिंगटन पोस्ट और वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसे दुनिया के प्रतिष्ठित अखबारों ने इसकी खबर भी छापी। इस हिंसा से जेएनयू की गरिमा को ठेस पहुंच रही है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) हिंसा के कारण एक बार फिर से चर्चा में है और चर्चा की वजह है नकाबपोश लोगों का कैंपस के अंदर जमकर हिंसा और उत्पात मचाना। नकाबपोश लोगों की वजह से न सिर्फ देश में बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। हिंसा से जुड़ी खबरों के कारण जेएनयू लगातार बदनाम होता जा रहा है।
मुझे बुरी तरह से पीटा गयाः घोष
नकाबपोश लोगों ने हॉस्टल में घुसकर अचानक छात्रों पर हमला कर दिया। इस हमले में कई छात्र घायल भी हुए। हमले में घायल जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशा घोष कहती हैं कि मेरे ऊपर नकाबपोश गुंडों ने बर्बर हमला किया। मैं अभी बात कर पाने की स्थिति में नहीं हूं। मुझे बुरी तरह से पीटा गया।
२ दिन पहले साबरमती हॉस्टल में जमकर हिंसा हुई। साबरमती हॉस्टल का नाम आते ही महात्मा गांधी का नाम जेहन में आ जाता है लेकिन यहां पर गांधी का सत्य, गांधी का संघर्ष, गांधी के मूल्य महज १० से १५ मिनट में रौंद डाले गए। ४०–५० नकाबपोश गुंडे आए, लाठी डंडे लेकर आए और वो किया जो कभी भी शिक्षा के इस पवित्र मंदिर में नहीं हुआ था।
कौन हैं नकाबपोश लोग ?
लेकिन कैंपस में लाठी डंडों से अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने वाले नकाबपोश कौन हैं, वो कहां से आ गए, कैसे आ गए, किनके संरक्षण और शह पर आ गए, इसका पता पुलिस लगा नहीं पाई। हालांकि एफआईआर दर्ज जरूर हो गई है।
हिंदुस्तान की तीन टॉप के यूनिवर्सिटी में जेएनयू की गिनती हमेशा से होती रही है। लेकिन आज यह छात्रों के जख्म और हिंसा की वजह से चर्चा में है।
अब सवाल यही है कि लाठी और रॉड लेकर हिंसा करने वाले कौन हैं। दिल्ली पुलिस ने क्राइम ब्रांच को जांच सौंप दी है और इसकी जांच भी शुरू हो गई है। हालांकि रविवार की शाम जब कैंपस में खूनी हिंसा के समय पुलिस वहां मौजूद नहीं थी।
हॉस्टल फीस बढ़ाने से बढ़ा विवाद
छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने कैंपस में पहुंचने में देरी लगा दी। छात्रों ने रजिस्ट्रार से गुहार लगाई। १०० नंबर पर ९० से ज्यादा कॉल किया लेकिन पुलिस देर से पहुंची।
नेता जहां एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं लेकिन जेएनयू में छात्रों के संगठन भी एक-दूसरे पर हमला बोल रहे हैं। आजतक से