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‘तारिणी’ से दुनिया नापने जा रही हैं 6 महिलाएं, मोदी ने किया सैल्यूट

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रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय नौसेना के छह सदस्यीय महिला चालक दल को सितंबर से दुनिया का चक्कर लगाने से पहले शुभकामनाएं दी हैं. नेवी का महिला चालक दल आईएनएस तारिणी दुनिया का चक्कर लगाने के लिए गोवा से रवाना होगा. पीएम मोदी ने चालक दल की सराहना करते हुए कहा कि पिछले दिनों मुझे बहुत ही छोटी उम्र की कुछ बेटियों से मिलने का मौका मिला और उसमें से कुछ बेटियां तो हिमालय में पैदा हुई थी. समंदर से जिनका कभी नाता भी नहीं था. ऐसी हमारी देश की छह बेटियां जो नेवी  में काम करती हैं, उनका जज़्बा, उनका हौसला हम सब को प्रेरणा देने वाला है.

पीएम मोदी ने कहा कि ये छह बेटियां, एक छोटी-सी नाव (आईएनएस तारिणी) लेकर समुद्र पार करने के लिए निकल पड़ेंगीं. इस अभियान का नाम दिया गया है ‘नाविका सागर परिक्रमा’ और वह पूरे विश्व का भ्रमण करके कई महीनों बाद भारत लौटेंगी. कभी एक साथ 40-40 दिन पानी में बिताएगी. कभी-कभी 30-30 दिन पानी में बिताएंगी. साथ ही समुद्र की लहरों के बीच साहस के साथ हमारी ये छह बेटियां और ये विश्व में पहली घटना हो रही है. उन्होंने कहा कि पूरे हिंदुस्तान को अपनी इन बेटियों पर नाज़ है. पीएम ने कहा कि इन बेटियों के जज़्बे को सलाम करता हूं और मैंने उनसे कहा है कि वो पूरे देश के साथ अपने अनुभवों को साझा करें.

मन की बात में पीएम मोदी ने बताया कि नरेंद्र मोदी ऐप पर चालक दल के अनुभवों के लिए एक अलग व्यवस्था भी की जाएगी ताकि उनके अनुभवों को बारे में पूरी दुनिया जान सके. पीएम ने बताया कि ये यात्रा एक प्रकार से साहस कथा है और इन बेटियों की बातों को आम जन तक पहुंचाना खुशी और गर्व की बात है. पिछले दिनों चालक दल के सभी सदस्यों ने पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी.

क्यों खास है ‘तारिणी’?

-महादेई के बाद ‘तारिणी’ नौसेना का दूसरा नौकायन पोत है. आने वाले दिनों में नेवी की महिला टीम दुनिया का चक्कर लगाने के अभियान पर इसी बोट में निकलेगी.

-गोवा के एक्वेरियस शिपयार्ड लिमिटेड में तैयार की गई तारिणी हॉलैंड के टोन्गा 56 नाम के डिजाइन पर आधारित है. इसे बनाने में फाइबर ग्लास, एल्युमिनियम और स्टील जैसी धातुएं इस्तेमाल की गई हैं.

-तारिणी में कुल छह पाल लगे हैं जो इसे मुश्किल से मुश्किल हालात में भी सफर तय करने की ताकत देते हैं. अत्याधुनिक सेटेलाइट सिस्टम के जरिये तारिणी के क्रू से दुनिया के किसी भी हिस्से में संपर्क किया जा सकता है.

-तारिणी के सारे ट्रायल इस साल 30 जनवरी को पूरे हुए थे. इसकी तकनीक विकसित करने में महादेई को चलाने का अनुभव खासा काम आया है. पिछले साल मार्च में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने तारिणी के निर्माण का आगाज किया था.

-ये नौकायन पोत तय सीमा से पहले बनकर तैयार हुआ है और इसे प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के लिए उपलब्धि माना जा रहा है.

-बोट का नामकरण ओडिशा में मशहूर तारा-तारिणी मंदिर के नाम पर हुआ है. संस्कृत में तारिणी का मतलब नौका के अलावा पार लगाने वाला भी होता है.

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