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सत्य तो सत्य ही है, झूठ सदैव झूठ है…

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सत्य तो सत्य ही है, झूठ सदैव झूठ है…

“स्वराज आन्दोलन न केवल स्वतन्त्रता आन्दोलन है बल्कि यह जातिय, भाषिक, धार्मीक, लैंगिक एवं सांस्कृतिक जैसे अनेकौं उत्पीड़न से मुक्त होने का महा-आन्दोलन है । यह ‘मधेश राष्ट्र’ निर्माण का आन्दोलन भी है । समृद्ध मधेश, अनुशासित मधेश, समतामुलक मधेश, सभी का मधेश, स्वाभिमान मधेश, सर्वोत्कृष्ठ मधेश निर्माण का साझा अभियान भी है ।
और यह तभी संभव है जब जाति, धर्म, संस्कृति, वर्ण, भाषा, वेश आदि के रूपमें रहे हर संकीर्णता को मिटाने की सामूहिक प्रतिबद्धता हर एक में हों ।

समाज को खण्डित करनेवाला, मानवता को विभाजित करनेवाला और उँच, नीच, छूत, अछूत, राग, द्वेश जैसे द्वन्दात्मक मानसिकता को जन्म देनेवाला धर्म हमें नहीं चाहिए । निर्बलों पर चतूरों द्वारा शासन करनेवाला किसी भी शास्त्र को हम नहीं मानते । एक मानवद्वारा दुसरे मानव पर अन्याय, अत्याचार ढानेवाला ग्रन्थ हमें स्वीकार नहीं है । मानवता पर कलंक पैदा करनेवाला मानव निर्मित हर लेख, रचना, श्रूति, मान्यता आदि को हम खारेज करते हैं । बस जग में एक ही सत्य है, एक ही धर्म है, एक ही न्याय है और वो है : ” प्रकृति !”

प्रकृति ही सत्य है । सभी प्राणियों के लिए समान है । हर जीवों के लिए न्याय है और वही जग के लिए शास्वत भी है । सूर्य, चन्द्र, पृथ्वी, आकाश, वायू, अग्नी, जल, वनस्पति ही प्रकृति है और सभी मानव के लिए समान है । न हिन्दू का, न मुसलमानों का, न ईशाई और न ही सीखों का, हर प्राणियों के लिए एक है । प्रकृति न केवल मानवजाति ही बल्कि जहत में रहे हर प्राणियों के लिए सत्य, न्याय और समान है ।

शेष रहे, मानव निर्मित हर धर्म, शास्त्र, ग्रन्थ, रचना, श्रुति में त्रूटी है । अतः, मानव रचित ईन रचनाओं में रहे सही चीज अँगिकार करें बाँकी रहे विकृत हर चीजों को तिरस्कार करें…

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